गिरते हुए बज़ार में 📉Short Selling से कमा सकते है बोहोत सारा पैसा।

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शार्ट सेल्लिंग का मतलब होता हैं अपूर्ण बिक्री।

यह तकनीक उन ट्रेडर के लिए काम आती हैं, जो इंट्राडे ट्रेडिंग या शार्ट टर्म ट्रेडिंग करते हैं।

शार्ट सेल्लिंग का उपयोग जब बाजार में मंदी आती हैं, या बाजार डाउन ट्रेंड में होता हैं, तब बाजार से मुनाफा कमाने के लिए किया जाता हैं।

शार्ट सेल्लिंग क्या होती हैं ?

जब हम किसी मार्किट में व्यापर करते हैं जैसे की कोई वस्तु या सोना कम दाम पर खरीदते हैं और जब उस सोने का भाव भढ़ जाता है तब उसे हम भेज देते हैं। 

तब खरीदने और भेजने के बिच का जो अंतर होता हैं वह हमारा मुनाफा होता हैं।

Short selling hindi

ठीक इसी प्रकार से शेयर बजार में भी होता हैं, जब हम किसी कंपनी के शेयर को कम दामों में खरीदते हैं और जब उनकी कीमत बढ़ जाती हैं तब हम उन्हे बेच देते हैं।

इस प्रकार से जब हम शेयर बाजार में काम करते हैं तो इसे हम go long position कहते हैं। मतलब की पहले खरेदी करो और जब शेयर्स की कीमत बढ़ जाये तब उसे भेज दो।

यह काम हम वास्तविक बाजार में और शेयर बाजार दोनों में कर सकते हैं की, पहले खरीदो और फिर जब कीमत बढ़ जाये तो भेज दो।

शेयर बाजार में इसके आलावा और एक प्रकार हैं जिसे कहते हैं शार्ट पोजीशन या short selling.

इस में होता यह हैं की हम पहले शेयर्स को भेज देते हैं, इसमें आप को प्रश्न होगा की

What is short selling in Hindi.

हमने शेयर्स तो ख़रीदे ही नहीं तो हम बेच कैसे सकते हैं ?

शार्ट सेल्लिंग लॉन्ग पोजीशन के बिलकुल उल्टा होता हैं। यहाँ पर हम उची कीमत में शेयर्स को बेचते हैं और जब शेयर्स की कीमत घट जाती हैं , तब उसे वापिस खरीद लेते हैं। इस प्रकार की ट्रेडिंग को हम शार्ट सेल्लिंग कहते हैं। 

उदहारण के तौर पर ,

लॉन्ग पोजीशन

share market Long Position

पहले हम समझ लेते हैं लॉन्ग पोजीशन को।

मान लीजिये की आप गोल्ड में ट्रेडिंग करते हैं।

आप ने गोल्ड को ५०००० के भाव पर ख़रीदा और गोल्ड की कीमत ५०००० से बढ़ कर ५२००० पर पोहोच गयी तब आप ने इसे बेच दिया।

इस प्रकार से आप को २००० का मुनाफा हुआ। इस प्रकार की ट्रेडिंग को लॉन्ग पोजीशन कहते हैं।

इसमें आप कम कीमत पर खरेदी करते हैं और कीमत बढ़ जाती हैं तब आप इसे बेच देते है।

शार्ट पोजीशन

share market Short Position

शार्ट पोजीशन में ठीक इसके उल्टा होता हैं।

पहले उची कीमत पर बिकवाली की जाती हैं और कीमत कम हो जाती हैं तब खरेदी की जाती हैं।

आप को टेक्निकल एनालिसिस की मदत से मालूम पड़ता हैं क गोल्ड की कीमत निचे जाने वाली हैं तो आप ५२००० पर गोल्ड को शार्ट सेल्ल करते हैं।

और गोल्ड की कीमत घटकर ५०००० पर पोहोच जाये तब आप गोल्ड को खरीद लेते हैं।

अब आप यहाँ पर देखेंगे की असल में आप ने गोल्ड को ५०००० में ख़रीदा और ५२००० में बेचा हैं इसमें भी आप को २००० का मुनाफा हुआ हैं।

इस प्रकार की ट्रेडिंग को शार्ट सेल्लिंग कहा जाता हैं।

इस प्रकार से आप गिरते हुए से मुनाफा कमा सकते हैं।

शार्ट सेल्लिंग में लोस्स कैसे होता हैं ?

जैसे की बाजार में हम लॉन्ग पोजीशन बनाते हैं तब अगर बाजार बढ़ता हैं तो हमें प्रॉफिट होता हैं। लेकिन अगर बाजार घटने लगता हैं तो हमें लोस्स होने लगता हैं।

शार्ट सेल्लिंग में लोस्स कैसे होता है

इसके बिपरीत जब हम बाजार में शार्ट सेल्ल पोजीशन बनाते हैं तब अगर बाजार घटता हैं तब हमें प्रॉफिट होता हैं।

लेकिन अगर बाजार बढ़ने लगे तो हमें लोस्स होने लगता हैं।

तो यह बिलकुल सिधिसी बात हैं की अगर हम लॉन्ग पोजीशन लेते हैं तो बाजार बढ़ना चाहिए और अगर हम शार्ट पोजीशन लेते हैं तो बाजार घटना चाहिए जिससे की हमें प्रॉफिट हो।

शार्ट सेल्लिंग कैसे की जाती हैं ?

Intraday Short selling – Equity Market

  • अगर आप इक्विटी मार्किट में शार्ट सेल्लिंग करते हैं, तो आप को इसे आज ही बेच कर आज ही खरीदना पड़ता हैं।
  • क्योकि इक्विटी मार्किट में केवल इंट्राडे में ही आप शार्ट सेल्लिंग कर सकते हैं।
  • इक्विटी मार्किट में शार्ट सेल्लिंग करने के बाद उस ही दिन वापिस से खरीदारी नहीं करते हैं और आप की शार्ट सेल्ल की पोजीशन पेंडिंग रह जाती हैं।
  • तो इसमें स्टॉक एक्सचेंजर इस सौदे में आप को शार्ट सेल्लिंग में defaulter मानते हैं और इस सौदे में आप को बोहोत बड़ी रक्कम फाइन या पेनलटी के रूप में वसूल की जाती हैं।
  • इसलिए जब आप इक्विटी मार्किट में शार्ट सेल्लिंग करे तो आप इस बात का ध्यान रखे की शार्ट सेल्लिंग की पोजीशन को आज ही क्लोज करदे।

Intraday and Positional Short Selling – Future and Option (Derivatives) Commodity Market

  • F&O और Commodity Market में Short selling बोहोत ही पॉपुलर होती हैं।
  • या ऐसा भी कह सकते हैं की शार्ट सेल्लिंग F&O मार्किट के लिए ही होती हैं।
  • क्योकि इसमें आप इंट्राडे के साथ-साथ अपनी शार्ट सेल्लिंग पोजीशन को अपने expiry date तक carry कर सकते हैं।
  • future मार्किट में आप इंट्राडे और पोसिशनल दोनोही तरह से शार्ट सेल्लिंग कर सकते है।

Short Selling Book in Hindi

अगर आप शेयर बजार में शार्ट सेल्लिंग के बारेमे ओर जानना चाहते हैं, तो आप इस किताब को पढ़ सकते हैं।

निष्कर्ष

अगर आप शार्ट सेल्लिंग सिख जाते है, तो आप गिरते हुए बाजार में भी कम अवधि में बोहोत ज्यादा पैसे कमा सकते हैं।

लेकिन ध्यान रहे जब बाजार ऊपर जाता हैं वह धीरे – धीरे जाता हैं और जब बाजार निचे आता हैं तब वह बड़ी तेज़ीसे आता है।

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FAQ

शॉर्ट सेलिंग कैसे करते हैं?

गिरते हुए मार्किट में उची कीमत में शेयर्स को बेचते हैं और जब शेयर्स की कीमत बढ़ने लगती हैं , तब उसे वापिस खरीद लेते हैं।
इस प्रकार की शार्ट सेल्लिंग करते हैं।

शेयर मार्केट में शॉर्ट सेलिंग क्या है?

शेयर मार्केट में उची कीमत में शेयर्स को बेचते हैं और जब शेयर्स की कीमत घट जाती हैं , तब उसे वापिस खरीद लेते हैं।
इस प्रकार की ट्रेडिंग को हम शार्ट सेल्लिंग कहते हैं।

शॉर्ट सेलिंग से आपको कैसे फायदा होता है?

शार्ट सेल्लिंग से यह फायदा होता हैं की, हम गिरते हुए मार्किट में भी पैसे कमा सकते हैं।

आप कब तक शॉर्ट पोजीशन रख सकते हैं?

अगर आप इक्विटी में ट्रेडिंग करते हैं तो आप सिर्फ इंट्राडे में शार्ट सेल्लिंग कर सकते हैं १ दिन के लिए।
और अगर आप F&O और Commodity Market में Short selling करते हो तो आप इंट्राडे के साथ-साथ अपनी शार्ट सेल्लिंग पोजीशन को अपने expiry date तक carry कर सकते हैं।

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