टेक्निकल एनालिसिस में जितने आसान तरीके होते हैं काम करने के ,उतने ही आसान तरीके से हम शेयर बाजार से पैसे कमा सकते हैं।
उनमेसे एक आसान तरीका हैं Renko Chart . यह एक बोहोत ही साधारण सा दिखने वाला चार्ट हैं।
रेंको चार्ट का सबसे बड़ा फायदा यह हैं की चार्ट पे होने वाले उतार या चढ़ाव (Noise) को यह पूरी तरह से हटा देता हैं।
जिससे हमें चार्ट अच्छी तरह से साफ़ दिखाई देता हैं और हम चार्ट को अच्छी तरह से समझ पाते हैं।
इस आर्टिकल में हम पढ़ेंगे Renko Chart क्या हैं ?,रेन्को ट्रेडिंग का इतिहास | रेंको ट्रेडिंग की सुरवात कैसे हुई,Renko Chart कैसे काम करता हैं , Renko Chart in Hindi, कैंडलस्टिक और रेन्को चार्ट में अंतर, Renko Chart Candlestick Chart से क्यो बेहतर हैं, Renko Chart के फायदे और रेंको चार्ट का उपयोग किन्हें करना चाहिए ?
Renko Chart कैसे काम करता हैं ?
ज्यादातर trader Candlestick Chart का इस्तेमाल करते हैं।
लेकिन रेंको चार्ट को काफी लोंगो ने कम आँखा हैं।
यह price action देखने का काफी आसान तरीका हैं और बोहोत सारे लोंगो को नहीं पता की यह कैसे काम करता हैं।
आप को यह पता चल जायेगा की Renko Chart कैसे तैयार होता हैं और कैसे काम करता हैं।
तो आखिर रेंको चार्ट (Renko Chart) कैसे काम करता हैं ?
जैसे की आपने पढ़ा हैं की रेंको चार्ट Time, Volume पे काम नहीं करता, यह चार्ट सिर्फ Price याने के भाव के आधार पर चलता हैं।
इस वजह से यह चार्ट काफी साफ़ और समझ ने में आसान होता हैं।
कैंडलस्टिक चार्ट में हमें कैंडल्स यानि मोमबत्ती के संरचना दिखाई देती हैं।
रेन्को चार्ट में हमें ब्रिक्स याने के ईंटो की संरचना दिखाई देती हैं।
आप देख सकते हैं की ज्यादा तर Renko Bricks (Bars) में wicks नहीं होती हैं।
Renko Bars समय के आधार पर नहीं बनते , बल्कि भाव के आधार पर उनकी संरचना बनती हैं।
कैंडलस्टिक चार्ट में हमें हर मिनट, हर घंटे और हर हफ्ते की जानकारी दिखाई देती हैं, लेकिन रेंको चार्ट में प्राइस की की जानकारी दिखाई देती हैं।
जब वह प्राइस एक सिमा के ऊपर या निचे जाता हैं तब चार्ट पर हमें रेंको बार्स दिखाई देते हैं।
उदहारण के तौर पर एक रेंको बार बनने के लिए १० पॉइंट की मूवमेंट लगती हैं, तो अगर प्राइस १० पॉइंट ऊपर जायेगा तब हरे रंग का रेंको बार बनेगा, अगर प्राइस १० पॉइंट के निचे जायेगा तब लाल रंग का रेंको बार बनेगा।
कैंडलस्टिक और रेन्को चार्ट में अंतर।
कैंडलस्टिक और रेन्को में सबसे बड़ा फरक यह हैं की रेंको में Time, Volume नहीं दिखाई देते सिर्फ price के आधार पर Renko Chart काम करता हैं।
कैंडलस्टिक और रेन्को में अंतर समझना काफी आसान हैं।
जैसे की चार्ट पे आप देख सकते हैं की Time, Volume, Price की वजह से Candles की संरचना बनी हैं।
रेनको चार्ट में सिर्फ Price की वजहसे renko Bricks बनती हैं।
रेंको चार्ट नाही Open, close, नाही High Low और नाही समय देखता हैं।
वह सिर्फ Price याने के भाव के आधार पर चलता हैं।
जैसे की प्राइस जितना ऊपर जाता हैं उतना ही रेंको चार्ट ऊपर जाता हैं ।
और प्राइस जितना निचे जाता हैं उतना ही चार्ट निचे जाता हैं।
अगर आप किसी शेयर का रेंको चार्ट के आधार पर विश्लेषण करना चाहते हैं तो आप Tradingview.com और Investing.com पे कर सकते हैं।
Renko Chart Candlestick Chart से क्यो बेहतर हैं ?
Renko Chart के फायदे
Support और Resistance
Renko chart काफी प्रभावी हैं उन traders के लिए जो की Support और Resistance level पर काम करते हैं।
क्योंकि Candlestick Chart के मुकाबले Renko chart में Support और Resistance level अच्छी तरह से दिखाई देते हैं।
Clean Chart
Time और Volume न होने के कारन रेंको चार्ट में बड़ी आसानी से मार्किट में होने वाले बदलाव या Market Trends साफ़ दिखाई दते हैं।
Market Noise
Market Noise याने के चार्ट पे न समझ आने वाले Breakouts (False Breakouts), प्राइस में अचानक होने वाले उतार चढ़ाव (High Volatility) और Candlestick के Wicks इन सभी चीजे आप को रेंको चार्ट में नहीं दिखाई देती।
Target और Stop Loss
रेन्को चार्ट में Noise कम होने के कारन Trader अपने Target और Stop Loss बड़ी आसानीसे लगा पाते हैं और investor अपनी entry और exit आसानी से कर पाते हैं।
Large Move
शेयर मार्किट में चार्ट पर होने वाली अस्थिर चालों को रेंको चार्ट साफ़ (Filter) कर देता हैं, जिससे हमें स्टॉक मार्किट या शेयर में लम्बी चाले ढूंढने में मदत मिलती हैं।
Over Trading
रेन्को चार्ट में Time ,Volume न दिखने के कारन चार्ट काफी साफ़ दिखाई देता हैं, इस वजह से शेयर buy और sell करने के मौके हमें साफ़ दिखाई देते हैं।
इस वजह से ट्रेडर Over Trading करने से बचते हैं ।
रेन्को ट्रेडिंग का इतिहास | रेंको ट्रेडिंग की सुरवात कैसे हुई ?
रेन्को को हिंदी में इट भी कहते हैं।
- जापान में २५० साल पहले जब कोई व्यापारी सामान बेचने जाता था, तब उसे ईंटो के वजन जितना सामान रखना पड़ता था।
- इससे उन्हें यह समझ आता था की कितना सामान उन्हें चाहिए और कितना सामान रखना हैं।
- यही संकल्पना आगे बढ़ते बढ़ते एक चार्ट के रूप में विकसित होती हैं जिसे हम रेन्को चार्ट कहते हैं।
- रेंको चार्ट का १९ वी सदिसे शेयर बाजार में इस्तेमाल होना सुरु हुआ । इसकी सुरवात जापान में हुई थी।
- जैसे की कैंडलस्टिक को Steve Nison ने अपने किताबो के जरिये प्रसिद्द किया था।
- वैसे ही Renko Chart को भी Steve Nison ने अपने किताबो के जरिये प्रसिद्द किया।
रेंको चार्ट का उपयोग किन्हें करना चाहिए ?
अगर आप Scalping या कम अवधि की ट्रेडिंग (Short Term Trading) करते हैं, तो आप रेंको चार्ट का उपयोग कर सकते हैं।
Renko Chart Book In Hindi
अगर आप को रेंको चार्ट के बारेमें ओर जानना चाहते हो, तो आप इस किताब को पढ़ सकते हैं।
निष्कर्ष
रेंको चार्ट टेक्निकल एनालिसिस में एक काफी आसान तरीका हैं, शेयर बाजार में विश्लेषण करने के लिए।
अगर किसी को ज्यादा जटिल तरीके से काम नहीं काटना हैं, तो रेंको ट्रेडिंग एक अच्छा पर्याय हे आप के लिए।
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१. इंट्राडे ट्रेडिंग क्या है ?
२. शेयर बाजार मे इन्वेस्ट करने के तरीके।
३. Fundamental Analysis in Hindi | फंडामेंटल एनालिसिस क्या हैं ?
Q.1.Renko Chart क्या हैं ?
Ans: रेंको चार्ट शेयर बाजार में टेक्निकल एनालिसिस में काम करने का तरीका हैं, जो सिर्फ price याने के भाव के आधार पर काम करता हैं।
Q.२.रेंको ट्रेडिंग की सुरवात कैसे हुई ?
Ans: जापान में २५० साल पहलेरेंको ट्रेडिंग की शुरवात हुए और १९ वी सदी में Steve Nison ने अपने किताबो के जरिये Renko Trading को प्रसिद्द किया।
Q.3.कैंडलस्टिक और रेन्को चार्ट में क्या अंतर हैं ?
Ans: कैंडलस्टिक चार्ट Time, Volume और Price के आधार पर बनता हैं, लेकिन रेंको चार्ट सिर्फ प्राइस याने के भाव के आधार पर बनता हैं। यह अंतर हैं कैंडलस्टिक और रेन्को चार्ट में।
Q.4.रेंको चार्ट का उपयोग किन्हें करना चाहिए ?
Ans: अगर आप Scalping या कम अवधि की ट्रेडिंग (Short Term Trading) करते हैं, तो आप रेंको चार्ट का उपयोग कर सकते हैं।
Q.5.Renko Chart कैसे काम करता हैं ?
Ans: रेंको चार्ट सिर्फ प्राइस याने के भाव के आधार पर काम करता हैं।